PRAGYA ABHIYAN
रचनात्मक आन्दोलनों के प्रति जन-जन में उत्साह जगाए
यह यज्ञभाव को जनजीवन में उतारने का चुनौतीपूर्ण समय है
विगत आश्विन नवरात्र के बाद से अब तक का समय विचार क्रान्ति की दृष्टि से अत्यंत आन्दोलनकारी सिद्ध हुआ है। मुम्बई में अश्वमेध महायज्ञ के आयोजन, मध्य प्रदेश में प्रत्येक ग्राम पंचायत तक ‘मातृशक्ति श्रद्धा संवर्धन यात्राओं के भ्रमण से लेकर विगत पाँच-छ: माह में हर क्षेत्र में छोटे-बड़े गायत्री महायज्ञों के सार्वजनिक आयोजन सम्पन्न हुए। 24 से लेकर 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञों के लगभग 500 कार्यक्रमों का संचालन तो शान्तिकुञ्ज से भेजी गई टोलियों के माध्यम से ही किया गया। इस क्रम में पूरे देश में करोड़ों लोगों तक परम पूज्य गुरूदेव के क्रान्तिकारी चि...
मनुष्य अनन्त शक्तियों का भाण्डागार है
मनुष्य अनन्त शक्तियों का भाण्डागार है। ये शक्तियाँ ही जीवन के उत्कर्ष का आधार हैं। शारीरिक, मानसिक, आत्मिक क्षमताओं का विकास, सफलता, सिद्धि, सुख और आनन्द की प्राप्ति सब इन्हीं आत्मशक्तियों के जागरण से संभव हो पाता है। इन शक्तियों के जागरण के लिए जीवन साधना और मनोनिग्रह की आवश्यकता होती है।
सामान्यत: आत्मशक्तियों का जागरण मानवीय उत्कर्ष के रूप में हर किसी के जीवन में परिलक्षित होता है, लेकिन कुछ दृष्टांत ऐसे भी हैं, जो चमत्कारिक होते हैं। आत्मशक्तियों के जागरण का ऐसा परिणाम भले ही हर किसी के लिए संभव न हो, लेकिन यह दृष्टांत जीवन साधना से आत्मशक्तियों के जागरण का उत्साह व संकल्प जगाते हैं। आत्मशक्तियों के जागरण से लोगों ने अपने व्यक्तित्व में आमूलचूल परिवर्तन किया है, अनेक सामाज...
शताब्दी वर्ष-2026 के निमित्त विशिष्ट अभियान : ज्योति कलश यात्राएँ
हम स्वयं जागें, सौ-सौ को जगाएँ, इस ऐतिहासिक वेला में पावन गुरूसत्ता को दें एक सार्थक श्रद्धांजलि
भारतीय संस्कृति में पर्वों का विशेष महत्त्व है। ये हमें उमंग-उल्लास से भर कर कर्त्तव्य और अनुशासनों की याद दिलाते हुए जीवन पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं। अखण्ड ज्योति और परम वंदनीया माताजी के अवतरण का शताब्दी वर्ष-2026 भी एक ऐसा ही विलक्षण अवसर है। यह गायत्री परिवार के लिए नवजागरण का संदेश लेकर आया है। जैसे किसी भारी कार्य को करने के लिए सैकड़ों लोग ‘हईशा! ..’ ध्वनि के साथ अपनी सारी शक्ति लगा देते हैं, वैसे ही ‘युग निर्माण’ के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए पूरी शक्ति और...
ईश्वर परायण जीवन के बहुमूल्य सूत्र-सिद्धांत
ईश्वर एक व्यवस्था, एक नियम है
विज्ञान क्षेत्र के ऋषि आइन्स्टीन ने कहा था, ‘‘मेरी दृष्टि में ईश्वर इस संसार में संव्याप्त एक महान नियम है। मेरी मान्यता के अनुसार ईश्वरीय सत्य अंतिम सत्य है। अंतिम सत्य की खोज ही विज्ञान का परम लक्ष्य है। अपने मार्ग पर चलते हुए विज्ञान ने जो तथ्य ढूँढ़े और सत्य स्वीकार किए हैं उन्हें देखते हुए भविष्य में और भी बड़े सत्यों का रहस्योद्घाटन होता रहेगा।
केनोपनिषद् में प्रतिपादन है- परब्रह्म ऐसा कोई विचारणीय पदार्थ नहीं है, जिसे मन द्वारा ग्रहण किया जा सके। वह तो ऐसा तथ्य है जिसके आधार पर मन को मनन शक्ति प्राप्त होती है। परबह्म ही नेत्रों को देखने की, कानों को सुनने की, प्राणों को जीने की शक्ति प्रदान करता है। वह सर्वान्तर्यामी और निरपेक्ष ह...